Maqtal e Hazrat Imam Hussain Lyrics| BAS AB AMMA CHALI JAO LYRICS | Mesum Abbas Nohay 2022 | Ashura Noha 1444 - Mesum Abbas Lyrics
Bas Ab Amma Chalai Jao Lyrics By Mesum Abbas
Noha Credits:
👉Noha: Maqtal e Hazrat Imam Hussain AS | Bas Ab Amma Chali Jao
👉Reciter: Mesum Abbas
👉Poet: Mir Sajjad Mir
Audio Credits:
👉Composition: Raza Shah
👉Chorus: Rizwan Mirza - Hasnain Mehdi - Sunny - Shahrukh
👉Audio Recording by M. Hassaan Qureshi / M. Ovais Qureshi (ODS - KHI)
👉Audio Mix/Mastered by M. Omar Qureshi (ODS - KHI)
👉Noha: Maqtal e Hazrat Imam Hussain AS | Bas Ab Amma Chali Jao
👉Reciter: Mesum Abbas
👉Poet: Mir Sajjad Mir
Audio Credits:
👉Composition: Raza Shah
👉Chorus: Rizwan Mirza - Hasnain Mehdi - Sunny - Shahrukh
👉Audio Recording by M. Hassaan Qureshi / M. Ovais Qureshi (ODS - KHI)
👉Audio Mix/Mastered by M. Omar Qureshi (ODS - KHI)
Lyrics:
अपने नज़दीक जो ज़हरा को तड़पता देखा
जोड़ कर हाथ हुसैन इब्ने अली ने ये कहा
आपके वास्ते वादे को निभाऊं अम्मा
दे इजाज़त के मैं सर अपना कटाऊं अम्मा
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
ना देखा जाएगा तुमसे हमारी मौत का मन्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
मेरी गर्दन पे ऐ अम्मा छुरी ज़ालिम चलाएगा
नाज़िस ज़ानू वो अपना जिस घड़ी सीने पे रक्खेगा
घुटेगा दम बहुत मेरा चलेगी सांस रुक रुक कर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
हर इक मुश्किल में ऐ अम्मा मदद की आपने मेरी
हमारे साथ दरिया से उठाई लाश ग़ाज़ी की
तुम्हारा शुक्रिया तुमने उठाया लाशा ए अकबर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
मदीना याद आ जाए ना करबल में तुझे अम्मा
मेरी दाढ़ी पकड़ कर शिम्र मारेगा मुझे अम्मा
तुम्हारी तरहं मेरे भी पढ़ेंगे नील चेहरे पर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
यहीं से अलविदा कह दो हमारे पीछे मत आना
तुम्हारा पहलू ज़ख़्मी है नहीं तुम से चला जाना
हमें तकलीफ़ होती है जो तुम चलती हो झुक झुक कर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
तड़प जाएगी अब्बासे जरी की लाश दरिया पर
शहीदों के दिल पर फिर से चल जाएगा इक खन्ज़र
नबी की लाडली तुमको ना लग जाए कहीं पत्थर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
जो तुम झुक झुक के चलती हो तुम्हें पहचान जाएगी
तुम्हारे बैन सुन सुन के तो उसकी जान जाएगी
कहीं घबरा के ज़ैनब आ ना जाए रन में बे-चादर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
ने सब्र था सज्जाद कितना शहज़ादी में
कटा शब्बीर का सर फ़ातिमा ज़हरा की झोली में
हुसैन इब्ने अली कहते रहे चलता रहा ख़न्जर
बस अब अम्मा चली जाओ
कहा शब्बीर ने रो कर चलेगा हल्क़ पर ख़न्ज़र
बस अब अम्मा चली जाओ
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