Bus Ghazi (as) Hojaye Razi Noha Lyrics | Syed Irfan Haider | Mola Abbas (as) | 2022-1444 - Irfan Haider Lyrics
Singer | Irfan Haider |
Bus Ghazi (as) Hojaye Razi Noha Lyrics By Irfan Haider
In the name of God, the Most Gracious, the Most Merciful.
Ya Ali (as) Madad
Bus Ghazi (as) Hojaye Razi
Noha Khuwan: Syed Irfan Haider
Poet: Allama Syed Akhtar Abbas Zaidi Al-Arabi
Audio: Lawa Studio
Sangat: Munawar Ali Khan, Rajab Ali Khan, Ghulam Abbas & Amanat Ali
Lyrics:
लब्बैक या अब्बास
लब्बैक या अब्बास
लब्बैक या अब्बास
सख़ी बादशाह अब्बास जे अलमां वाला
मेरा मुर्शिद ग़ाज़ी
हिजाब ए जै़नबे कुबरा सलाम
सलाम या ग़ाज़ी
बाबुल हवाइज मेरे ग़ाज़ी
हो जा राज़ी
सुन ले मेरी इल्तिजा
हर मातमी हल्क़ा ए मातम में
ये सोच के खून बहाता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी।
ये दर है सख़ी अब्बास का दर
यहां दीप वफ़ा के जलते हैं
सर अपना झुका ले ग़म ना कर
यहां गिरते लोग संभलते हैं।
ये विर्द सजा ले होठों पर
दुनिया से क्यों घबराता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
जो तेरे अलम पर आएगा
वो दिल की मुरादें पाएगा
तू जिस पे करम कर दे ग़ाज़ी
वो तुझ में फ़ना हो जाएगा।
कशकोल तेरे दीवानों का
ये कहते ही भर जाता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
सक़्क़ा ए सकीना जाने अली
इक मश्क तेरे परचम से बंधी
कहती है अज़ादारों से यही
इस बात पे शक करना न कभी।
मिलता है सकीना का सदक़ा
उसको जो ये दोहराता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
अब्बास बुलाते हैं जिसको
बस कर्बोबला वो जाता है
हर एक शहीदे कर्बोबला
खुद उसके गले लग जाता है।
शब्बीर की क़ब्र पे जाकर जो
ये कह के फूल चढ़ाता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
जब 8 मोहर्रम आती है
इक बीबी ये फ़रमाती है
अब्बास मेरे भाई मुझको
तेरी याद बहुत तड़पाती है।
उठता है अलम जब ग़ाज़ी का
बे-साख़ता लब पर आता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
हुर, जौन ओ हबीब और क्या मुस्लिम
क्या औन ओ मोहम्मद जैसे पिसर
तू दसवीं मोहर्रम गौर तो कर
क्या क़ासिम ओ अकबर क्या असग़र।
हर लड़ने वाला मक़तल में
ये कह के तेग़ चलाता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
इरफ़ान ए अज़ा और अख़्तर तुम
बस नादे अली का विर्द करो
तुम आशिक़ ए मौला ग़ाज़ी हो
ये सारे ज़माने से कह दो।
हम राहे वफ़ा के प्यासों की
ये जुमला प्यास बुझाता है
बस ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
मेरा ग़ाज़ी हो जाए राज़ी
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